Friday, August 4, 2017

अपना घर

अपना  घर
जहाँ चिड़िया रोज़ मुंडेर पर आती है ,
जहाँ कबूतरों की आवाज़ एक वाइब्रेटर होती है
जहाँ नलके अपने समय पर चलते है
जहाँ किचन में तीन पहर हलचल होती है
जहाँ डाइनिंग टेबल की कुर्सियां
दो बार अपनी जगह बदलती है ,
जहाँ हर संडे वाशिंग मशीन चलती है ,
जहाँ बालकनी की रेलिंग,
संडे सुबहसाफ की जाती है
जहाँ आँगन में संडे को धुप ली  जाती है
जहाँ सोफे पर बच्चे की कार चलती है
जहाँ लैंडलाइन का रिसीवर ,
बच्चा हटा देता है ,
जहाँ क्रिसमस ट्री पर ,
सेंटा मुस्कराता है
जहाँ तुलसी क़े पौधे को
शाम का दीपक जलता है
जहाँ सुबह गमलों से बात की जाती है
जहाँ धोबी शनिवार को कपडे दे जाता है
जहाँ छुट्टी क़े दिन ,
पुरे समय टीवी चलता है ,
जहाँ रात में धीमी  लाल लाइट जलती  है ,
वो घर अपना घर है
तूलिका