Wednesday, August 2, 2017

आकार

आकार
सुकून है कि तुम किसीके तो अपने हो ,
गम इसका कि अपनों के सपने हो  ,
सपने टंगे थे ,
सपने लगे थे ,
खड़े थे , बैठे थे ,
झांक रहे थे ,ताक रहे थे ,
निहार रहे थे ,आभार रहे थे ,
चुम रहे थे ,झूम रहे थे
घूम रहे थे ,
अब सपने पक रहे है ,
जल रहे है ,कट रहे ,
मिट रहे है ,बन रहे है .
अब सपने दिख नहीं रहे ,
फुट रहे है ,खिल रहे है ,
आकार ले रहे है ,
सपने साकार हो रहे है .
तूलिका .