Tuesday, August 8, 2017

बसंत

पांच साल में ,
जेठ की धूप ही देखी,
खुशगवार तो तुम रहे ,
सदाबहार बसंत ,
साल की चार ,
नहीं छह
नहीं
बारह महीने
बसंत ही बसंत
तीन वर्ष से बसंत
बसंत ही बसंत
खुश हूँ ,
इस जेठिली दुनिया में
तुम्हारे पास बसंत ऋतु है
बसंत ही बसंत .
ऋतु .
तूलिका .