खिड़कियों को खोलना ,
हमेशा अच्छा नहीं होता .
अच्छा नहीं होता,
हमेशा ,
बुलबुलों का मुंडेर पर बैठना .
हवाएं सांस देती तो है ,
लेकिन ये हमेशा तो नहीं होता .
दरवाजे की देहरी पर खड़े होकर ,
हमेशा किसी एक ओर देखना ,
अच्छा तो नहीं होता .
माना है ,
कुछ रोशन दान ज़रूरी है घर के वास्ते ,
लेकिन हर उजाला रौशनी नहीं तो होता .
ज़रूरी नहीं आँखों में हर सपनों को बुनना ,
हर बार उनका चटकना ,
अच्छा तो नहीं होता .
चलो मुस्कुराना बनालो रिवाज़
हर जंग लड़ना अच्छा नहीं होता .
तूलिका .
हमेशा अच्छा नहीं होता .
अच्छा नहीं होता,
हमेशा ,
बुलबुलों का मुंडेर पर बैठना .
हवाएं सांस देती तो है ,
लेकिन ये हमेशा तो नहीं होता .
दरवाजे की देहरी पर खड़े होकर ,
हमेशा किसी एक ओर देखना ,
अच्छा तो नहीं होता .
माना है ,
कुछ रोशन दान ज़रूरी है घर के वास्ते ,
लेकिन हर उजाला रौशनी नहीं तो होता .
ज़रूरी नहीं आँखों में हर सपनों को बुनना ,
हर बार उनका चटकना ,
अच्छा तो नहीं होता .
चलो मुस्कुराना बनालो रिवाज़
हर जंग लड़ना अच्छा नहीं होता .
तूलिका .