बोल दो
आज सच बोल दो ,
झूठ की मज़ार पर
मत बिठाओ मुझे
आज सच बोल दो
वो आग क्या है
जो जला रही है ,
तुम्हे ,मुझे ,
तुमसे ,मुझसे जुड़े सभी लोगों को ,
बर्फ के टुकड़े ले आओ ,
वो पुरानी सिल्ली नहीं .
जो दफना दे मुझे
आज सच बोल दो
दिन कटते नहीं ,
रात जगती रही
न कुछ बोलकर ,
सब कहती रही ,
धुआँ ही धुआँ
दिख रहा है मुझे
धुएं की शाख पर
ना बिठाओ मुझे
आज सच बोल दो !
तूलिका
आज सच बोल दो ,
झूठ की मज़ार पर
मत बिठाओ मुझे
आज सच बोल दो
वो आग क्या है
जो जला रही है ,
तुम्हे ,मुझे ,
तुमसे ,मुझसे जुड़े सभी लोगों को ,
बर्फ के टुकड़े ले आओ ,
वो पुरानी सिल्ली नहीं .
जो दफना दे मुझे
आज सच बोल दो
दिन कटते नहीं ,
रात जगती रही
न कुछ बोलकर ,
सब कहती रही ,
धुआँ ही धुआँ
दिख रहा है मुझे
धुएं की शाख पर
ना बिठाओ मुझे
आज सच बोल दो !
तूलिका