ज़िक्र
मै हूँ नहीं मेरा ज़िक्र बहुत है ,
काश होता ,
तुम्हे मेरी फ़िक्र बहुत है !
हसीन सपनो को सहेजा था मैंने ,
करीने से कमरे को सजाया था मैंने .
वो साइड टेबल की टेबल लैंप ,
अब भी जलती होगी ,
वो लाल मद्धम रौशनी ,
ढूंढती होगी ,
उसे कई बार साफ किया था मैंने ,
मै हूँ नहीं मेरा ज़िक्र बहुत है ,
काश होता ,
तुम्हे मेरी फ़िक्र बहुत है !
तूलिका
मै हूँ नहीं मेरा ज़िक्र बहुत है ,
काश होता ,
तुम्हे मेरी फ़िक्र बहुत है !
हसीन सपनो को सहेजा था मैंने ,
करीने से कमरे को सजाया था मैंने .
वो साइड टेबल की टेबल लैंप ,
अब भी जलती होगी ,
वो लाल मद्धम रौशनी ,
ढूंढती होगी ,
उसे कई बार साफ किया था मैंने ,
मै हूँ नहीं मेरा ज़िक्र बहुत है ,
काश होता ,
तुम्हे मेरी फ़िक्र बहुत है !
तूलिका