अजनबी बनकर तुम मिले , दो पल साथ चले ,
मै कहीं थमी निहारती रही ,तुम हाँथ छुड़ा कर कही चले ,
शरद चांदनी रात थी ,बूंदा बांदी पास थी ,
मंदिर के घंटो की ,थोड़ी धीमी आवाज़ थी .
तुम मिल गई ,सब मिल गया ,वो चली गई मै भुला दिया ,
तुम साथ रहना बस देखना ,यह कह कर तुमने भुना लिया ,
कुछ वादे हुए समझौते हुए ,कुछ शरारत ,नोके झोके हुए ,
नए सपनो की उड़ान लिए ,हम तुम्हारे साथ चल दिए ,
जल्द ही हमारा बचपन आया और तुम पहलु बदल लिए ,
जिन पंखो को आगाज़ मिला तुम उनको ही क़तर दिए ,
ये हो ना सका ,तुम कर ना सकी, वादी ,प्रतिवादी तुम खेल लिए ,
मै झेल रही ,तुम देख रहे ,जलते अंगनरों को ठेल रहे ,
तसल्ली इसकी है मुझको ,तुमको आज यहाँ खड़ा किया ,
जिसकी क्षमता' को आजमाकर तुमने दामन छुड़ा लिया ,
पंचवर्षीय योजना में मै शत प्रतिशत सफल रही ,
तुमको दिशा दिखा दिखा कर खुद पथ से विहीन हुई ,
ख़ुशी है इस काबिल तुमको मैंने बना दिया ,
की मूछों को ताव देकर तुमको कही थमा दिया ,
आज मै दिशाहीन चरित्र हीन हो गई ,
चार अंकों को गिनने लायक ,तुमको पद वीन बना दिया ,
कभी आइना देखना ध्यान से ,कहीं चमक से चटक ना जाये ,
मेरे अरमानों के दरख़्त से ,कही शीशा खटक ना जाये ,
इत्र तो बाजार में बहुत मिल जायेंगे मेरे दोस्त ,
समर्पण के रंग अब कभी खनक ना पाएं!
ख़ुशी इस बात की तुम्हारे रंग फ़ैल रहे ,
गम इस बात का हम अपनी खुशबु समेट रहे !
तूलिका
मै कहीं थमी निहारती रही ,तुम हाँथ छुड़ा कर कही चले ,
शरद चांदनी रात थी ,बूंदा बांदी पास थी ,
मंदिर के घंटो की ,थोड़ी धीमी आवाज़ थी .
तुम मिल गई ,सब मिल गया ,वो चली गई मै भुला दिया ,
तुम साथ रहना बस देखना ,यह कह कर तुमने भुना लिया ,
कुछ वादे हुए समझौते हुए ,कुछ शरारत ,नोके झोके हुए ,
नए सपनो की उड़ान लिए ,हम तुम्हारे साथ चल दिए ,
जल्द ही हमारा बचपन आया और तुम पहलु बदल लिए ,
जिन पंखो को आगाज़ मिला तुम उनको ही क़तर दिए ,
ये हो ना सका ,तुम कर ना सकी, वादी ,प्रतिवादी तुम खेल लिए ,
मै झेल रही ,तुम देख रहे ,जलते अंगनरों को ठेल रहे ,
तसल्ली इसकी है मुझको ,तुमको आज यहाँ खड़ा किया ,
जिसकी क्षमता' को आजमाकर तुमने दामन छुड़ा लिया ,
पंचवर्षीय योजना में मै शत प्रतिशत सफल रही ,
तुमको दिशा दिखा दिखा कर खुद पथ से विहीन हुई ,
ख़ुशी है इस काबिल तुमको मैंने बना दिया ,
की मूछों को ताव देकर तुमको कही थमा दिया ,
आज मै दिशाहीन चरित्र हीन हो गई ,
चार अंकों को गिनने लायक ,तुमको पद वीन बना दिया ,
कभी आइना देखना ध्यान से ,कहीं चमक से चटक ना जाये ,
मेरे अरमानों के दरख़्त से ,कही शीशा खटक ना जाये ,
इत्र तो बाजार में बहुत मिल जायेंगे मेरे दोस्त ,
समर्पण के रंग अब कभी खनक ना पाएं!
ख़ुशी इस बात की तुम्हारे रंग फ़ैल रहे ,
गम इस बात का हम अपनी खुशबु समेट रहे !
तूलिका