Monday, June 26, 2017

कहीं भी

कहीं भी

रूह है ,नहीं भी,
पास है दूर  भी,
रात है बात भी,
आस है खास भी!

दर्द उबलते रहे,
लौ को मध्यम कौन करे ,
ख्वाब जलते रहे,
तुम देखते रहे!

सिलवटे अभी तनी है ,
जानते है भी नहीं,
सिक रही है रोटियां ,
मेरे अश्कों को लिए!

जो दिख रहा , मेहमान है,
हुमज़ुबाँ है नहीं,
दरिया वो बह चला,
हवाओं को लिए !
रूह है ,नहीं भी,
पास है दूर  भी!
तूलिका