Friday, August 19, 2011

असम

आधी तो यह बीत चुकी ,
आधी ही बस बाकी है ,
इस आधे को पाने की ,
अपनी अलग कहानी है !

हर दिन मिलता जो राहों में ,
वो चलता बस ज़ुबानी है ,
दो पल अगर ठहर गया ,
तो समझो मेहेरबानी है !

इस पल की न इनायत कर,
कहता कल जो आनी है ,
हमने तो कई रातें देखी ,
जो बिन उसकी निशानी है ! 

छुपाकर रखा दामन  में ,
की आनी सुबह सुहानी है ,
तेरे आने से पहले ,
तेरे जाने के बाद 
न अब वो चीज़ पुरानी है !!

वो चाँद आया फिर चांदनी लेकर 
चलो नई हवा बहानी है ,
कदम उठते नहीं ,
की ठहरे कहीं ,
की अभी उसकी आवाज़ आनी है!!!

तस्सली दी थी, 
की है, हमने ,
वो थक गया ,
थमा, होगा सफ़र में ,
की हवाओं ने कहीं रोका ,
रुख ने टोका होगा डगर में ,
की अभी आगाज़ है ,
अंजाम  तक कई राह चलानी है ,
की थम जा रात ,
की एक नई  रुत अभी आनी है !

आधी तो यह बीत चुकी ,
आधी ही बस बाकी है ,
इस आधे को पाने की 
अपनी अलग कहानी है !

तूलिका

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