आधी तो यह बीत चुकी ,
आधी ही बस बाकी है ,
इस आधे को पाने की ,
अपनी अलग कहानी है !
हर दिन मिलता जो राहों में ,
वो चलता बस ज़ुबानी है ,
दो पल अगर ठहर गया ,
तो समझो मेहेरबानी है !
इस पल की न इनायत कर,
कहता कल जो आनी है ,
हमने तो कई रातें देखी ,
जो बिन उसकी निशानी है !
छुपाकर रखा दामन में ,
की आनी सुबह सुहानी है ,
तेरे आने से पहले ,
तेरे जाने के बाद
न अब वो चीज़ पुरानी है !!
वो चाँद आया फिर चांदनी लेकर
चलो नई हवा बहानी है ,
कदम उठते नहीं ,
की ठहरे कहीं ,
की अभी उसकी आवाज़ आनी है!!!
तस्सली दी थी,
की है, हमने ,
वो थक गया ,
थमा, होगा सफ़र में ,
की हवाओं ने कहीं रोका ,
रुख ने टोका होगा डगर में ,
की अभी आगाज़ है ,
अंजाम तक कई राह चलानी है ,
की थम जा रात ,
की एक नई रुत अभी आनी है !
आधी तो यह बीत चुकी ,
आधी ही बस बाकी है ,
इस आधे को पाने की
अपनी अलग कहानी है !
तूलिका
No comments:
Post a Comment