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खानाबदोश Khanabadosh
Monday, August 15, 2011
अक्स
अक्स
वो सुबह मदहोश थी ,
वो शाम मदमस्त थी,
खफा न थी कोई आरजू ,
हर टीस कही बंद थी ,
उस जुबान पर यकीन था
उस मान पर यकीन था
उस नाम पर यकीन था
गर न मिल सका हमे
जो कभी हमारा नसीब था |
गम है गम से मिला गया
जो दिल के बहुत करीब था |
तूलिका |
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