Friday, August 5, 2011

हर जगह

हर जगह


चमकते रहो सदा हर जगह ,

चमकते है तारे सितारे जिस तरह ,

बनो ,बढ़ो ,फूलो हर घड़ी ,

चलो गढ़ों मंजिल हर कड़ी |


खुशियाँ ही हो जीवन में सदा ,

पर गम में भी न डगमगाओ ज़रा ,

आज नहीं तो कल ,

पाओगे ,फलोगे ,दिखोगे हर जगह |


सुअकृति की तुम शुचिता ,

बनो सायमी और तितिक्षा ,

चलो बध्परिकर राह पर तुम ,

लंबित है जहा तुम्हारी सफलता |


शिखर से बढ़ो हर उस शिखर,

दिखता हो खुला आसमान जिधर ,

पाप गलत्कार की न हो घटा ,

बढ़ो मेरे साथी धैर्य से तुम उधर |


हर घड़ी हर कड़ हर छड हो तुम्हारा ,

करो प्रफुल्ल सभी को हर जगह ,

फक्र हो अपनी जाया पर हर जिसे ,

साथी रचो तुम ऐसी दास्ताँ |


तूलिका |

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