Saturday, August 6, 2011

जीवन

जीवन

जीवन क्या है ?
कभी धूप कभी छांव,
कभी सुख कभी दुःख ,
कभी ख़ुशी कभी गम ,
क्या यही जीवन है ?
नहीं !

यह तो अमूल्य अंश है ,
ईश द्वारा प्रदत है .
जो पूर्णतः क्रियाशील ,
गतिशील है ,
क्या यही जीवन है ?
नहीं !

यह तो एक पात्र है ,
संसार रूपी रंगमंच का ,
जहा सभी आशावान है ,
कुछ पाने के अरमान है ,
क्या यही जीवन है ?
नहीं |

यह तो एक वृक्ष है ,
माँ रूपी धरणी है ,
पिता रूपी आकाश है ,
फलित होना लक्ष है ,
प्रगति उद्देश्य है ,
क्या यही जीवन है ?
नहीं |

जीवन महत्वपूर्ण भेंट है ,
करना इसमें संघर्ष है ,
वर्तमान में अज्ञानी की
हर साँस मनो व्यर्थ है ,
प्रतियोगिता के युग में ,
अपने को प्रकाशवान कर,
औरों को प्रकाशित करना है ,

हाँ सही ,हाँ यही ,
परिभाषित और परिमार्जित जीवन का स्वरुप है !!!


तूलिका

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