नया बसेरा नई राहें
पार करनी है, कई दीवारें ,
यूँ तो उड़ते हैं कई परिंदे ,
कई ठीलों ,कई दरिया से ,
नए सफ़र नए कारवां में,
कि नया बसेरा नई राहें |
कि तुम उड़ना जहा नया आकाश हो ,
गम कि न कहीं स्याह हो ,
कि नई ज़मी नई राह हो ,
असीम हर्ष की ही ठ्याह हो ,
कि नया बसेरा नई राहें |
मिलेंगे नए राही,
नए सफ़र ,नए डगर में ,
लगेंगे कई अपने भी,
तुम्हे नए नगर में ,
सुलझेंगी गुत्थी खिलेंगी आशाएं ,
कि नया बसेरा नई राहें |
न ठहरो ,न रुको न थमो तुम,
चाहे कितने भी पंख तुम्हे निहारें,
की लक्ष्य दृढ है तुम्हारा अगर ,
प्रतिकूल दिशाएं भी तुम्हे सराहें ,
कि नया बसेरा नई राहें|
तूलिका |
Courtesy ,conversation with a friend .
बहुत सुन्दर लिखा है.....
ReplyDeleteउठो जागो और तब तक न रुको जब तक अपने ध्येय तक नहीं पहुंच जाते हो.......................