प्रवास
चिड़ियों का चहचहाना
वो माँ का उठाना ,
वो डांटना चिल्लाना ,
वो आँखे दिखाना ,
की सूरज है सर पर ,
है गेहूं सुखाना ,
रह रह सताता है घर से दूर जाना |
छोटी का हँसाना ,
वो इतराकर बिदकना ,
कमसिन उम्र में भी,
समझदार बनना ,
की तुम उड़ पडोगी ,
है आकाश छूना .
रह रह सताता है घर से दूर जाना|
पिता का ओट से वो पल पल निहारना ,
नजदीक आकर वो भोहे चढ़ाना ,
की ये राजनीति ,
वो सामाजिक धारणा ,
न चाहकर भी है दायित्व निभाना ,
रह रह सताता है घर से दूर जाना |
सब कमरे वही है,
बालकनी वही है,
तीन डैने वाले वो पंखे वही है,
वो आँगन ,वो छत ,वो दीवार वही है,
दीवार पर लगे मैप वही है ,
न बदली तस्वीरें ,वो आयना वही है
बदल रहा बस कलेंडर
वो उम्र के हफ्ते ,महीने है बदले
है बदले कई सालों के अपने है बदले ,
की सपनो को बुनना ,
है उनको है पाना ,
रह रह सताता है घर से दूर जाना |
ये घडी भी निभाना
की पलकें भिंगाना ,
रफ़्तार पकडती ट्रेन से,
दूर तक हाँथ हिलाना ,
की लम्बे सफ़र में ,
है कई मक़ाम पाना,
रह रह सताता है घर से दूर जाना |
तूलिका