Friday, June 27, 2014

अमावट

अमावट 

बचपन में मौसम ,
या हर मौसम में बचपना ,
बारिश की रिमझिम ,
वो बूंदों पर थिरकना ,
त्योहारों की हलचल में ,
माँ की रसोई में फटकना ,
स्वेटर  के निकलने पर ,
धूप  में पतंगों को गिनना ,
फिर आम के बागों में ,
छुप कर पेड़ों पर लटकना ,
हमेशा सुगबुगाता है ,
परत दर परत ,
गीली रेत पर ,
वो मनचाही  लकीरों का बनना ,
उमर दर उमर ,
वक़्त दर वक़्त ,
ज़िन्दगी अमावट सी लगती है ,
ख़ुशी का मीठापन ,
और ग़मों की खटास,
चलते है साथ ,रहते है आस पास ,
खटास ना हो तो मीठेपन का कैसा अहसास !

तूलिका