Thursday, May 30, 2019

तज़ुर्बा

बीज में साँस ,
रंगनुमा अहसास हो तुम .
भरी दोपहर में ,
आम के बयार हो तुम .
संघर्ष के काँटों में ,
गुलाबी गुलाब हो तुम .
चेहरों की दुनिया में ,
सख्त पहचान हो तुम .
बसंत के मौसम में ,
भावनाओं का बुलबुला हो तुम .
जो ठहर जाये तो रिश्ता ,
वरना फासला हो तुम .
चल दिए साथ तो ,
चमकता सितारा हो तुम .
वो कह रहे है किस्मत ,
पर सिखाने को मेहरबान हो तुम .
फलसफा हो तुम ,
तज़ुर्बा हो तुम,
हल्की सी कसक लिए ,
तर्जुबा हो तुम .
जिंदगी हो तुम .

तूलिका .

बेरंग दुनिया


हाथों में हाथ है ,
लेकिन नब्ज़ छूटी सी है ,
सीने से लगे डीपी में ,
अहसास की दूरी सी है .
होठों पर मुस्कराहट है ,
ख़ुशी की कमी सी है .
सपनो के समंदर में ,
आँखों में नमी सी है .
यादों के बवंडर में ,
रात अमावस सी है .
टेक केयर के जमघट में ,
अविश्वास की ज़मी सी है .
तुम ना हो तो,दुनिया बेरंग सी कहीं ,
और होतो मन में रौशनी सी है .

तूलिका .